आत्महत्या या हत्या
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भीड़ का क्या है, कहीं भी, किसी भी हालात को अपना निशाना बना लेती है। आज रामदीन के बँग्ले पर!
रामदीन की लाश फाँसी पर लटकी थी, नीचे टेबुल पर लिख फरफरा रही थी आत्महत्या प्रमाण पत्र
"सालभर पहले मेरी बेटी मुनिया मेरे विश्वास की धज्जियाँ उड़ाते हुये प्रेम प्रसंग में हमें छोड़ गई थी तब पुरा समाज मेरे साथ था। विपदा की घड़ी में मुझे सँभलने का हौंसला मिला पर घटना के कुछ ही दिनों बाद से अबतक लोगों की दबी जुबानको सहना मुश्किल हो गया। इसलिये खुद को दोषी मानते हुये मैं अपने आप को खत्म कर रहा हूँ"
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भीड़ का क्या है, कहीं भी, किसी भी हालात को अपना निशाना बना लेती है। आज रामदीन के बँग्ले पर!
रामदीन की लाश फाँसी पर लटकी थी, नीचे टेबुल पर लिख फरफरा रही थी आत्महत्या प्रमाण पत्र
"सालभर पहले मेरी बेटी मुनिया मेरे विश्वास की धज्जियाँ उड़ाते हुये प्रेम प्रसंग में हमें छोड़ गई थी तब पुरा समाज मेरे साथ था। विपदा की घड़ी में मुझे सँभलने का हौंसला मिला पर घटना के कुछ ही दिनों बाद से अबतक लोगों की दबी जुबानको सहना मुश्किल हो गया। इसलिये खुद को दोषी मानते हुये मैं अपने आप को खत्म कर रहा हूँ"
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