"रामदीन चोर है"

"रामदीन चोर है"
ये खबर कुछ ही दिनों में एक चाय दुकान से उड़कर पुरे शहरमें फैल गई।
रामदीन भी अब बहुत कम ही दिखाई देता था।
तरह तरह के विचार फैल रहे थे!
"शायद बेरोजगारी से तंग आकरउसने चोरी शुरू की"
"नहीं नहीं, उसके खानदान में भी कई चोर थे, ये तो खानदानी चोर है"
"अरे नहीं यार, ये तो जुआरी था पर किसी को पता न था"
यहाँ तक कि मित्र भी कटाक्षकरते थे
"रामदीन तुम वाकई मर्द हो, पुलिस की लाठी भी तुम्हें तोड़ नह...
ीं पाई"
कुछ समयांतराल पर
कुख्यात अपराधी "जग्गा" की रँगेहाथ हुई गिरफ्तारी
उसने कबुला की शहर की सारी चोरी उसी ने की
अब रामदीन सहज था
चौक चौराहे पर खुलेआम घुम रहा था
सारे विचार बदलने लगे
रामदीन अपने मित्र के पास गया और कहा
मैं पुलिस की लाठी ही नहीं बल्कि अपनों के कटाक्ष को भी सह गया
इसलिये वाकई मर्द हूँ
मित्रः निःशब्द