-: रामदीन :-
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'चुप बुढ्ढे, काम के ना काज के, दुश्मन अनाज के'
रामदीन ने तुरंत अपनी आँखे झुका ली।
रामदीन का एक पैर कब्र तक पहुँच चुका था। जिन्दगी के बचे हुए कुछ लम्हों को कचोटते हुए गुजार रहा था।
आज उसने
शराब के नशे में लड़खड़ाते अपने ईकलौते बेटे से सिर्फ इतना कहा था 'बेटा संभल के चल'।