@ लफड़ा @
आज बाजार एकदम रँगीन, होली जो है।
रामदीन बच्चों के लिए पिचकारी और ढेर सारे रँग, अबीर खरीदा।
मेहरून रँग का एक पैकेट अलग से पैक करबाया अपनी रासो (पत्नी) के लिए।
पैसे चुकता कर घर की तरफ चल पड़ा, अचानक एक नशे में धुत्त युवक ने टोका "ओय, इधर सुन"
रामदीन उसकी लाल लाल आँखे देखकर सकपका गया।
"ओय, आँखे फारकर क्या देख रहा है। जल्दी से होली का खर्चा निकाल और फुट ले।" इसबार युवक ने रामदीन की कॉलर पकड़ ली।
"देखिये भाई साहब, ये क्या बदतमीजी है। अभी मेरे पास पैसे नहीं है।" रामदीन डरते हुए बोला।
नशे में धुत्त युवक ने सारा रँग अबीर रामदीन के शरीर पर फेक दिया। रामदीन लाचार सा बना रहा और युवक गाली देते हुए चला गया।
रामदीन मन ही मन अपनी लाचारी को कोसते हुये पुलिस थाने की ओर चल पड़ा।
मगर रास्ते में ही दर्जनों लोगों ने घेर लिया।
"क्यों रामदीन इतनी छोटी बातों के लिए केस करोगे"
"अरे जाने भी दो रामदीन, वह भी अपने समाज का ही बच्चा है"
और अंत में मुखिया जी बोले "रामदीन, तुम लफड़ा खत्म करना चाहते हो या बढ़ाना"
रामदीन "निःशब्द"