♥ भाई ♥
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ट्रिन ट्रिन
"हेलो"
"हेलो, गोपी के पापा आप जल्दी से घर आ जाईए"
"अरे, अचानक से, और बहुत गुस्साई सी लग रही हैं आप... "
"कल पंचायत बैठ रही है इसलिए आप आज ही गाड़ी पकड़ लिजिए"
"पंचायत! क्या हुआ कुछ बताईए तो"
"फोन पे कुछ नहीं बताउँगी, आप बस जल्दी से आ जाईए अब फोन रखती हुँ"
"हेलो . . . . .हेलो . . . . . . हेलो"
रामदीन गहरे सोच में पर गया। उसके मन में तरह तरह के डरावने ख्याल आने लगे। शीघ्र ही छुट्टी लेकर गाँव की गाड़ी पकड़ ली।
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पंचायत लगी हुई थी। रामदीन के पहुँचते ही रामदीन की पत्नी जोर जोर से चिल्लाने लगी "अब हमारे गोपी के पापा आ गये हैं, अब सुनाईए जो सुनाना है। हमारे गोपी के पापा भी बहुत देश विदेश घुमते रहते हैं"
मुखिया जी ने रामदीन को समझाते हुए कहा "पंचायत में सिर्फ मर्दों के साथ बातें होगी"
रामदीन ने पत्नी को अंदर जाने को कहा।
"रामदीन, तुम तो बाहर रहते हो और यहाँ का सारा काम तुम्हारा भाई ही करता है। तुम्हारा भाई जमीन का बँटवारा चाहता है और उसका कहना है कि जमीन को अपने खुन पसीना से हीरा बनाया है इसलिए उसने जमीन का 90% अपने हिस्से में माँगा है। तुम क्या कहते हो?"
रामदीन मौन तोड़ते हुए कहा" भाई ने खुद के लिए माँगा है तो कहना क्या"
"चलो भाईयों, फिर तो पंचायत की कोई जरूरत ही नहीँ" कहते हुए मुखिया जी ने पंचायत उठा ली।
रामदीन की पत्नी झल्लाते हुए "खुद के लिए. . . . . . आपके लिए कुछ सोचा क्या?"
रामदीन "आखिर भाई है"
रामदीन की पत्नी नि:शब्द