♥ चँदा ♥
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आज 26 जनवरी के शुभ अवसर पर विद्यालय को खुब सजाया गया था।
रामदीन यहाँ 15 वर्षों से चौकीदार था।
रामदीन भी पुरे जोश के साथ सजावट के कार्यों में लगा था। बड़े बड़े ध्वनिविस्तारक यंत्र लगे थे, जिसमे बज रहे देशभक्ति के गाने सबों के दिल में एक नयी उमंग पैदा कर रही थी।
"रामदीन" प्रधानाध्यापक ने आवाज लगाई।
"जी साब जी" रामदीन तुरंत हाजिर हुआ।
"देखो रामदीन, अब झंडोत्तोलन का समय हो गया है। तुम उन कचरों पर ध्यान रखना।" गेट की तरफ ईशारा करते हुए प्रधानाध्यापक बोले।
रामदीन ने गेट की तरफ देखा, कुछ मासुम बच्चे खड़े थे।
रामदीन गेट तक पहुँचा तो उसमें से एक बच्चा बोला "चाचा, जलेबियाँ मिलेगी ना।
रामदीन ने बच्चों से कहा "हाँ जरूर मिलेगी पर तुमलोग एकदम से बदमाशी मत करना और चुपचाप खड़ा रहना।
रामदीन वापस आकर झंडोत्तोलन में सामिल हो गया।
प्रधानाध्यापक ने झंडा फहराया, आसमान से फुल बरसने लगे, जन गण मन का गान होने लगा। रामदीन गेट की तरफ नजर दौड़ाकर देखा सभी मासुम बच्चे सीना तानकर झंडे को सलामी दे रहा था।
भारत माता की जयजयकार के साथ झंडोत्तोलन समाप्त हुआ।
मिठाईयाँ बाँटना शुरू हो गया।
रामदीन कुछ जलेबियाँ लेकर गेट की तरफ चल पड़ा कि प्रधानाध्यापक ने टोका "कहाँ जा रहे हो रामदीन।
"साब जी, बच्चे कब से खड़े हैं, जलेबी पाकर चले जाएँगे।" रामदीन ने कहा।
"इन भिखारियों के लिए नहीं मँगाई गई है मिठाईयाँ" प्राधानाध्यापक ने रौब मे आकर कहा।
"साब जी, विद्यालय के झंडोत्तोलन में मैने भी 5 रूपये का चँदा दिया है" ये कहते हुए रामदीन गेट की ओर चल पड़ा।